सनातन फाउंडेशनपदयात्रा
भारत के सबसे गौरवशाली इतिहास वाले राज्यों में से एक बिहार की गिनती आजादी के बाद
50 और 60 के दशक तक देश के अग्रणी राज्यों में होती थी। लेकिन, 1970 के दशक के बाद
से बिहार विकास के मानकों पर धीरे- धीरे पिछड़ता गया। इसकी एक वजह राज्य में 1967 से
1990 के दौरान की राजनीतिक अस्थिरता रही। इस 23 साल के कालखंड में 20 से ज्यादा
सरकारें आईं और गईं, जिसकी वजह से विकास सरकारों की प्राथमिकताओं में कहीं पीछे चला
गया। 1990 के बाद राजनीतिक स्थिरता तो आई लेकिन, 1990 से 2005 तक की सरकार ने
सामाजिक न्याय को अपनी प्राथमिकता बताया। इस दिशा में कुछ सफलता भी मिली लेकिन 2005
आते-आते बिहार विकास के सभी मानकों पर देश में न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया। 2005 में
फिर व्यवस्था बदली और नई सरकार का गठन हुआ। इस सरकार ने सामाजिक न्याय के साथ विकास
को अपनी प्राथमिकता बताया। अब तक चली आ रही इस सरकार के 15 साल के कार्यकाल में
विकास को कुछ गति मिली, मूलभूत संरचनाओं और सेवाओं में थोड़ा बहुत सुधार भी हुआ
लेकिन व्यवस्था के आमूल-चूल परिवर्तन के अभाव में विकास की दौड़ में अन्य राज्यों के
मुकाबले बहुत पीछे छूट गए बिहार में बदहाली और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन बना रहा।
विकास की इसी धीमी रफ्तार की वजह से आज भी बिहार देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य
है। बिहार में देश के सबसे ज्यादा अशिक्षित, सबसे ज्यादा बेरोजगार, सबसे ज्यादा
भुखमरी और पलायन के शिकार लोग रहते हैं। देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली
आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा भी बिहार में ही रहता है। प्रदेश की एक बहुत बड़ी जनसंख्या
आज भी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है। बिहार के ज्यादातर लोग इस स्थिति को
समझते हैं और इसकी बेहतरी चाहते हैं। बिहार के सभी जागृत और प्रबुद्ध लोग, जिनको
बिहार के वर्तमान और भविष्य की चिंता है उन्हें इस बात की समझ है कि बिहार जिस
रास्ते पर पिछले कुछ दशकों से चल रहा है, उस पर चलकर इसे विकसित नहीं बनाया जा सकता
है।
अगर बिहार को आने वाले 10-15 सालों में देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा होना है तो
उसके लिए एक नई सोच और एक नए प्रयास की जरूरत है। ये नई सोच और प्रयास किसी एक
व्यक्ति या दल के बस की बात नहीं है। प्रदेश के 3 करोड़ लोगों के 60 साल के पिछड़ेपन
को कोई एक व्यक्ति या दल दूर नहीं कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि एक नई राजनीतिक
व्यवस्था बनाई जाए जिसे बिहार के सभी सही लोग मिलकर एक सही सोच के साथ बनाएं और
जिसके जरिए सामूहिक प्रयास से सत्ता परिवर्तन के साथ- साथ व्यवस्था परिवर्तन की
शुरुआत भी हो।
इस दिशा में सनातन फाउंडेशनसोच समझकर बनाई गई एक बड़ी और विश्वसनीय पहल है। इसके जरिए
बिहार के वर्तमान और भविष्य की चिंता करने वाले सभी सही लोगों को एक सही सोच के साथ
एक मंच पर लाना है। आने वाले कुछ महीनों में इन सभी लोगों से जुड़ने, उनके सवालों के
जवाब देने, उनके सुझावों को सुनने और सनातन फाउंडेशनको बिहार के गाँव- गाँव तक पहुँचाने
का प्रयास किया जाएगा।
सनातन फाउंडेशनके 3 महत्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं
सही लोग - जमीन से जुड़ें वे लोग जिनका वर्तमान और भविष्य बिहार की बदहाली और
खुशहाली से जुड़ा है - जिनको मुद्दों की समझ है, जो लोग अपने स्तर पर यहाँ की
समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं और इन सबसे बढ़कर जिनके अन्दर बिहार को
बदलने का जज्बा है।
सही सोच - बिहार के समग्र विकास का एकमात्र रास्ता सुराज ;ळववक ळवअमतदंदबमद्ध
है, ऐसा सुराज जो किसी व्यक्ति या दल का न होकर, जनता का हो - ‘जन सुराज‘
;च्मवचसमश्े ळववक ळवअमतदंदबमद्ध। गांधी जी की सोच से प्रेरित ‘जन सुराज‘ की इस
परिकल्पना में सभी वर्गों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का ध्यान रखा जाएगा और यह
सुनिश्चित किया जाएगा की वह जनता के मानदंडों पर खरा उतरे। यह नीति निर्धारण और
उसके क्रियान्वयन में समाज के अंतिम व्यक्ति की न सिर्फ चिंता करेगा बल्कि उन्हें
उसमें भागीदार भी बनाएगा।
सामूहिक प्रयास - लोकतंत्र में राजनीतिक दल अथवा मंच समाज की बेहतरी के लिए
लोगों के सामूहिक प्रयास करने का जरिया होते हैं। सनातन फाउंडेशनकी इस पहल में एक ऐसे
राजनीतिक मंच की परिकल्पना है जो लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार बिहार को विकसित
करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का अवसर प्रदान करे और इससे जुड़ने वाले लोग ही यह
निर्णय करें कि एक नया राजनीतिक दल बनाया जाए अथवा नहीं। अगर बनाया जाए तो उसका नाम
क्या हो, उसका संविधान क्या हो, उस दल की प्राथमिकताएं क्या हों और किस व्यक्ति को
कौनसी जिम्मेदारी मिले? सभी विषयों पर निर्णय का अधिकार किसी एक व्यक्ति या परिवार
का न होकर, सभी लोगों का हो।
पदयात्रा के 3 मुख्य उद्देश्य
1. समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतांत्रिक
मंच पर लाने का प्रयास करना।
2. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नगरों
एवं पंचायतों की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध कर, उनके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना।
3. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक, विकास, कृषि,
उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के
सुझावों के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना